मेरे रहते डर कैसा?
आप जो कुछ भी देखते हैं उसका संग्रह हूँ मैं ।
यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और
मेरी शरण मे आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा
के लिये कोई भय नही होना चाहिये ।
मेरी शरण मे आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा
के लिये कोई भय नही होना चाहिये ।
मैं तुम्हे अंत तक ले जाऊंगा ।
मेरी शरण में रहिये और शांत रहिये, मैं बाकी सब कर दूंगा ।
तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहाँ भी हो,
हमेशा इस बात को याद रखो, मुझे हमेशा इस बात
का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो ।
हमेशा इस बात को याद रखो, मुझे हमेशा इस बात
का ज्ञान रहता है कि तुम क्या कर रहे हो ।
मैं अपने भक्तों का अनिष्ट नहीं होने दूंगा ।
अगर मेरा भक्त गिरने वाला होता है तो मैं अपने हाथ बढ़ा कर उसे सहारा देता हूँ ।
मेरी दृष्टि हमेशा उनपर रहती है जो मुझे प्रेम करते हैं ।
हमारा कर्तव्य क्या है?
ठीक से व्यवहार करना, ये काफी है।