हम जो कर्म करते है उसी के अनुसार फल प्राप्त होता है, यही जीवन का नियम  है
फल कि अपेक्षा मन मे रखकर कोई भी कार्य नही करना चाहिये, नहीतो वह  हमेशा असफल होता है
देर से दिया हुआ न्याय, न देने के बराबर होता है
पहले सोचो और बाद मे कार्य करो
जीवन मे मां-बाप को कभी मत भुलना
सिर्फ खुद के लिये जिना मरने के समान है और खुद के साथ साथ दुसरो के लिये जिना हि सही जिना कहलाता है
सबका सुनो लेकिन वही करो जो आपका मन चाहे
एक समय एक हि काम करो और वह भी मन लगाकर
सिर्फ ज्ञान होने से फायदा नही होता, वो कैसा और कभी इस्तेमाल करना इसका ज्ञान होना चाहिये
बाहर के शत्रू से कई ज्यादा खतरनाक अपने अंदर के शत्रू होते है
चिंता करने से किसी समस्या का हाल कभी प्राप्त नही होता
खुद को ज्ञानी समझने वालो का विकास कभी नही होता
त्रासदी बिना विद्या ग्रहण नामोम्कीन
चीज होती है, किंतु त्रासदी कैसी सही जाये इसकी शिक्षा लेना हि विद्या का उचित ग्रहण करना है।
कंफ्युसीयस जीवन चरित्र
कंफ्युसीयस जीवन चरित्र
 
