गलतिया
अक्सर उत्नीही हि अच्छी शिक्षा हो सकती है जितनी कि सफलता।
-अज्ञात
अपने
बच्चो को पहले ५ साल तक खूब प्यार करो, ६ साल से १५ साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो, १६ साल से उनके साथ दोस्ती करो, आपकी संतान हि आपकी सबसे अच्छी दोस्त हो सकती है।
-अज्ञात
दोस्ती
यह कोई स्कूल मे पढने कि चीज नही, लेकिन अगर आपको दोस्ती का मतलब पता नही, तो आपका सिखना बेकार है।
-मोहम्मद
अली
दुसरो
कि गलतियो से सिखना ही सबसे बडा आकलन है।
-महात्मा
ज्योतिबा फुले
स्कूल
मे जो सिखाया जाता है वह भुलने के बाद जो याद रहता है उसे शिक्षा कहते है।
-अल्बर्ट
आईनश्टाइन
जो माता और
पिता अपने बच्चो को शिक्षा नही देते वो तो बच्चो के शत्रू के समान है, क्यो कि विद्याहीन
बालक विद्वानो कि सभा मे वैसे हि तिरस्कृत किये जाते है जैसे हंसो कि सभा मे बगुले। - चाणक्य
इस देश के सबसे
अच्छे दिमाग, क्लास कि लास्ट बेंच पर मिल सकते है ।
अब्दुल कलाम
जो पुछ्ने से
डरता हो वह कभी नही सिख सकता ।
-अज्ञात
जिस शिक्षा
से हम अपना जीवन निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके, चरित्र गठन कर सके और विचारो का सामंज्यस्य
कर सके, वही वास्तव मे शिक्षा कहालाना उचित है।
स्वामी विवेकानंद
शिक्षा सब से
अच्छी मित्र है, शिक्षित व्यक्ती सदैव सम्मान पाता है, शिक्षा कि शक्ती के आगे युवा
शक्ती और सौंदर्य दोनो भी कमजोर है।
-चाणक्य
जब हम सबकुछ
गवा देते है, तो उससे प्राप्त शिक्षा को ना गवाये ।
-अज्ञात
उस शिक्षा का
क्या मोल है जो हमारे अंदर गलत को सही करने का जुनून और निडरता न पैदा कर सके ।
-किरण बेदी
शिक्षा मिलती
नही वो खुद से प्राप्त कि जाती है ।
-अज्ञात
पढाई और जीवन
मे क्या फासला है? स्कूल मे पाठ पहले पढाया जाता है और फिर परीक्षा लि जाती है जब कि
जीवन मे पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मौका मिलता है ।
-टौम बोडेट
शिक्षा सबसे सशक्त हथियार है जिससे दुनिया को बदल जा सकता है ।
-मेरे अज्ञान के अलावा मुझे कुछ पता नही
-सोक्रेटीस
समाज का हर एक घर एक शिक्षण का मंदिर है जिसमे हर माता-पिता उस मंदिर के गुरु है
-महात्मा गांधी
शिक्षण कोई साद्ध्य नही है , वह एक साधन है. जिस शिक्षण से हम
चारित्र्यवान बन सकते है वही उचित शिक्षण कह्लाता है
-महात्मा गांधी